रामचरित मानस

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लंकाकाण्ड मन्दोदरी का फिर रावण को समझाना और श्री राम की महिमा कहना * सयन करहु निज निज गृह जाईं। गवने भवन सकल सिर नाई॥ मंदोदरी सोच उर बसेऊ। जब ते ...

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